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हुजूर आ जाएंगे

 आए जो कभी तूफान जब मुश्किल में हो जान हुजूर आ जाएंगे

जिन पर है यह जाँ कुरबान वह नबियों के सुल्तान


हुजूर आ जाएंगे


जब आफ्त कोई आएगी तसकीन दिलाने आएंगे

ईमान है कामिल यह अपना सरकार बचाने आएंगे

हम सबका है ईमान होगा फज़ले रहमान


हुजूर आ जाएंगे


जब पत्थर रब बन जाएंगे जब जुल्म के शोले बरसेंगे

जब शाही होगी बातिल की हक्दार कभी जब तरसेंगे

गमगीं होगा शैतान जब ले कर के कुरआन


हुजूर आ जाएंगे


वह आज भी जिन्दा है मुन्किर हर वक़्त करम फरमाते हैं

मीलाद मनाते हैं जब हम सरकारे मदीना आते हैं

मुर्दा न समझना तू इस वक़्त के ऐ मरवान


हुजूर आ जाएंगे


सस्कारे मदीना के खातिर हम आस लगाए बैठे हैं

मुश्ताके जियारत हम घर पर उम्मीद सजाए बैठे हैं

दिल में है एक तूफान आहट पे धरे हैं कान


हुजूर आ जाएंगे


माहौले क्यामत जब लोगो उम्मत को खौफ दिलाएगा

सर तक होगा पानी तो कभी सूरज सर पर आ जाएगा

तब उम्मत के बन कर वह बख़शिश के सामान


हुजूर आ जाएंगे


डरना न मुसीबत से गम से तकलीफ से तुम मत घबरान

इस तरह तसल्ली दे देना दिल को यही कह के बहलाना

दुनिया की मुसीबत से होना न शजर हैरान


हुजूर आ जाएंगे
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