हर जुल्म हुआ बर्बाद कि आए मेरे प्यारे नबी अब कोई न हो नाशाद कि आए मेरे प्यारे नबी
रहमत के बादल बरसे हैं दुनिया की सूखी धरती पर गुलशन में बहारें आई हैं सब फूलें फलें फल फूल शजर मालिक ने सुनी फरियाद कि आए मेरे प्यारे नबी madaarimedia.com अब कुफ्र की दुनिया सूनी है सन्नाटे हैं बुत खानो में हर सिम्त है इक शोरे मातम अब बिदअत के ऐवानो में बातिल की हिली बुनियाद कि आए मेरे प्यारे नबी
बिखरे हैं सदाक़त के जलवे फारूक़िय्यत की बस्ती में हैं नूरे सखावत नूरे विला इन्सानियत की हस्ती में हर शख्श हुआ आबाद कि आए मेरे प्यारे नबी
सय्याद के पिंजरों के अन्दर दुख दर्द भरीं थीं आबाज़ें ज़ालिम दुनिया ने पर काटे और छीन लीं जिनकी परवाज़ें वो पंछी हुऐ आज़ाद कि आए मेरे प्यारे नबी
है सोज़, नहीं मज़लूमों को अब जुल्मों तशदुश का ख़तरा आमद से उनकी खुश होकर कहता है यतीम इक इक बच्चा अब होगी मेरी इमदाद कि आए मेरे प्यारे नबी
सर सज्दए ख़ालिक़ मे है और लब पे दुआ है उम्मत के लिये क्या नहीं आक़ा ने किया है
अल्लाह रे क्या अज़मते महबूबे खुदा है खुद अर्श-ए-बरीं बढ़ के क़दम चूम रहा है madaarimedia.com क्या सल्ले अला गुलशने महबूबे खुदा है जो फूल है खुशबूऐ मौहम्मद में बसा है
उस बच्चे को क्या होगा ग़में दर्द यतीमी जो रहमते कौनैन की गोदी में पला है
क्या अपनी जुबाँ से कहूँ हाले ग़में दौराँ जो बीत रही है मेरे आक़ा को पता है
बस गुम्बदे ख़ज़रा की ज़ियारत हो मुयस्सर दिल में कोई ख्वाहिश ही नही इसके सिवा है
दुनिया के शहनशाहों से बेहतर है वो ए सोज़ आका की गुलामी का शरफ़ जिसको मिला है
कौन यहाँ है किसका साथी यह मतलब की दुनिया है जो दुखियों के आँसू पोछे वोह तो मदीने वाला है
ऐसा करम फरमाने वाला कोई बताओ देखा है बाँधे है अपने पेट से पत्थर और दुनिया का दाता है
इन्ना आतैना कल कौसर कुरऔं में फरमाया है ख़ालिक़े आज़म ने ए आक़ा आपको सब कुछ बख्शा है
नूरे मुजस्सम के क़दमों को प्यार से तूने चूमा है अर्जे मदीना अर्श का हमसर तेरा ज़र्रा ज़र्रा है madaarimedia.com दर दर ठोंकर खाने वालो इस दर्जा बे आस न हो आओ माँगें भीख उसी से जो रहमत का दरिया है
अपनी तो बद आमाली से बख्शिश की उम्मीद नही महशर में ए शाफेऐ महशर तेरा एक सहारा है
यूँ आम ज़माने में करो प्यार की बातें बच्चों को सिखाओ मेरे सरकार की बातें
कुछ इसके अलावा मुझे अच्छा नहीं लगता दिल कहता है करते रहो सरकार की बातें madaarimedia.com इन चाँद सितारों की ज़िया माँद है आक़ा हैं इतनी मुनव्वर तेरे किरदार की बातें
आये हैं उमर पेशे नबी सर को झुकाऐ अब क़त्ल की बातें हैं न तलवार की बातें
अल्लाह की रहमत की वहाँ होती है बारिश होती हैं जहाँ अहमदे मुख्तार की बातें
ईमान के फूलों से भरा आपने दामन हम भूल गऐ कुफ्र के हर ख़ार की बातें
तैबा की आरज़ू में जिये जा रहा हूं मैं जामे ग़मे फ़िराक़ पिये जा रहा हूं मैं
तैबा की हाज़री का शरफ़ मिल गया मुझे हर फिक्र को सलाम किये जा रहा हूं मैं madaarimedia.com अब क़ब्र के अंधेरों की परवाह नहीं मुझे इश्क़े नबी का नूर लिये जा रहा हूं मैं
तैबा की रह गुज़र है निगाहों के सामने जज़्बे जुनूँ मे सज्दे किये जा रहा हूं मैं
ऐ सोज़ जिसमें खुशबू है इश्क़े रसूल की ज़हनों को ऐसे लफ्ज़ दिये जा रहा हूं मैं